॥जय गौर हरि॥
ब्रह्मा, शिव
या नारायण सहित कोई भी जीव कृष्ण के समान पूर्ण एश्र्वर्यवान नहीं है | अतः
ब्रह्मसंहिता में स्वयं ब्रह्माजी का निर्णय है कि श्रीकृष्ण स्वयं भगवान् हैं | न
तो कोई उनके तुल्य है, न उनसे बढ़कर है | वे आदि स्वामी या भगवान्
हैं, गोविन्द रूप में जाने जाते हैं और समस्त कारणों के परम कारण हैं –
ईश्र्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्द
विग्रहः |
अनादिरादिर्गोविन्दः
सर्वकारणकारणम् ||
“ऐसे अनेक पुरुष हैं जो भगवान् के गुणों से युक्त हैं, किन्तु
कृष्ण परम हैं क्योंकि उनसे बढ़कर कोई नहीं है। कृष्ण ही परमपुरुष हैं और उनका
शरीर सच्चिदानन्दमय है | कृष्ण ही आदि भगवान् गोविन्द हैं और कारणों के कारण
हैं |” (ब्रह्मसंहिता)
मनुष्य को जानना चाहिए कि भगवान
कृष्ण ब्रह्मांड के सभी लोकों के परम स्वामी हैं. श्री कृष्ण की भक्ति में लीन
होना, उनकी शरण में जाना ही धर्म है, अन्य कोई धर्म नहीं है
समस्त कारणों के परम कारण भगवान
श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए सदैव सतत जपिए -
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण
हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
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