Sunday, 18 October 2015

नारायण निज रूप का करे निरंतर ध्यान ।



नारायण निज रूप का करे निरंतर ध्यान ।
करे प्रणाम श्री कृष्ण को, अक्षरातीत ब्रह्म जान ।।
विष्णु व्यापक रूप में, करे तपस्या गूढ़ ।
प्रणाम करे श्री कृष्ण को, भवजल तारण मूल ।।
ब्रह्मा वेद पड़त है,नित करी कृष्ण प्रणाम ।
गोप गावल के लाल का, जपे निरंतर नाम ।।
शम्भू शिव रूप होत है, करी प्रणाम ब्रजराज ।
नित्य निरंतर ध्यान में, जपे नाम श्री राज ।।
चर अचर सब ही करे, कृष्ण प्रणाम अपार ।
मनुष्य तन में होकर के, करो सफल अवतार ।।
क्षर अक्षर के पार है, श्री कृष्ण निजधाम ।
भक्ति अनन्य से पावत, अक्षरातीत परमधाम ।।
व्यापक धर्म कृष्ण है, श्री कृष्ण प्रणामी नाम ।
नमन करो श्री कृष्ण को, पहुंचे मूल मुकाम ।।
सर्व धर्म को छोड़ के, एक धर्म ग्रहिये सार ।
श्री कृष्ण प्रणामी धर्म में, सर्व धर्म विस्तार ।।
श्री मगलदासजी महाराज        

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