नारायण निज रूप का करे निरंतर
ध्यान ।
करे प्रणाम श्री कृष्ण को,
अक्षरातीत ब्रह्म जान ।।
विष्णु व्यापक रूप में, करे तपस्या
गूढ़ ।
प्रणाम करे श्री कृष्ण को, भवजल
तारण मूल ।।
ब्रह्मा वेद पड़त है,नित करी कृष्ण प्रणाम
।
गोप गावल के लाल का, जपे निरंतर
नाम ।।
शम्भू शिव रूप होत है, करी प्रणाम
ब्रजराज ।
नित्य निरंतर ध्यान में, जपे नाम
श्री राज ।।
चर अचर सब ही करे, कृष्ण प्रणाम
अपार ।
मनुष्य तन में होकर के, करो सफल
अवतार ।।
क्षर अक्षर के पार है, श्री कृष्ण
निजधाम ।
भक्ति अनन्य से पावत, अक्षरातीत
परमधाम ।।
व्यापक धर्म कृष्ण है, श्री कृष्ण
प्रणामी नाम ।
नमन करो श्री कृष्ण को, पहुंचे मूल
मुकाम ।।
सर्व धर्म को छोड़ के, एक धर्म
ग्रहिये सार ।
श्री कृष्ण प्रणामी धर्म में, सर्व
धर्म विस्तार ।।
श्री मगलदासजी महाराज
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