आप सभी लोग गज और ग्राह की कथा
जानते है. गज पानी मे नहाने जाता है और वंहा ग्राह उसका पैर पकड़ लेता है. उन के
बीच लड़ाई होती है. अपना पूरा बल लगाने के बाद भी गज अपना पैर नहीं छुडा पाता. जब
उसका पूरा बल समाप्त हो जाता है तो वह प्रभु को याद करता है.प्रभु उसे बचाने के
लिए नंगे पैर दौड़ पड़ते है.
"हाथ पकड़ कमला कहे कहा जात यदुनाथ
तो 'हा' तो
कमला ने सुनी 'थी' सुनी गजराज"
देखिये यही साधना का क्रम है. अपना
पूरा बल लगाने बाद ही समर्पण करना चाहिए. तभी समर्पण पूर्ण होता है. पूर्ण समर्पण
के बाद ईश्वर का बल चालू होता है. फिर प्रभु आते है और ग्राह को मारकर गज की रक्षा
करते है. गज बहुत खुश होता है और प्रभु की स्तुति करता है. कुछ देर बाद जब उसका
कुछ ज्ञान होता है. तो वह भगवान से पूछता है भगवान आप यहाँ किसका उद्धार करने आये
थे. भगवन कहते है कैसी बाते करते हो मैंने तो तुम्हारी पुकार पर तुम्हे ही बचाने
आया था.
गज कहता है - जब आप मेरी पुकार पर
आये थे तो ग्राह का उद्धार किसलिए पहले किया. (जिसकी मौत भगवान के हाथो हुई हो
उसका तो उद्धार पहले ही हो गया).
भगवान हँसते है और कहते है,बड़े
राज की बात है मेरा काम भक्त का उद्धार करना तो है ही,परन्तु
जिसने मेरे भक्त के पैर पकड़ लिए उसका उद्धार तो मुझे पहले करना पड़ता है !
.......जय श्री हरि
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