कबीरा यह जग निर्धना,,धनवंता नही कोई,---
धनवंता तेहुं जानिये,,जाको रामनाम धन होई--
बार बार रोते है वो लोग जो संसार से मोह करते है ओर ईस संसार मे प्रसन्न सिर्फ वो रहता है जो भगवान से मोह ओर प्रेम करता है
संसार मे जिसके पास पैसा नही है वो भी दुखी है ओर जिसके पास पैसा है वो भी दुखी है,-----
बहुत अमीर व्यक्ति तो एसे होते है जिनको नींद के लिए गोलियां खानी पडती है----
लिखने का भाव ये है की संसार मे सब दुखी है लेकिन भक्त ईस भौतिक जगत मे भी आनंदित रहता है------
कोई तन दुखी तो कोई मन दुखी तो कोई धन बिन रहत उदास----
थोडे थोडे सब दुखी,,,सुखी राम का दास------
ईस संसार मे सब दुखी है क्योकि ये संसार दुखालयं है ओर ये संसार परिवर्तनशील है,,,यहां सुख आयेगा तो दुख भी आयेगा ओर दुख आयेगा तो सुख भी आयेगा ----
सुख दुख का चक्र हमेशा चलता रहता है--- संसारिक व्यक्ति ईन सुख दुख मे विचलित हो जाता है जिसकी वजह से वो 8400000 योनियो मे चक्कर काटता है---
सुख आने पर अकड कर चलता है ओर दुख आने पर घबरा जाता है लेकिन भक्त भक्ति के उत्साह ओर आनंद मे ईस तरह डुबा रहता है की सुख दुख का कोई प्रभाव नही पडता क्योकि भक्ति के आनंद के आगे संसारिक सुख दुख फीके होते है----
भक्त सुख दुख को भगवान का प्रसाद समझकर मन को मजबुत रखकर भक्तिमार्ग मे आगे बढता है------
तीन चीजे होते है----- सुख,,,दुख ओर आनंद------
सुख दुख भौतिक जगत मे मिलते है ओर आनंद भक्ति से यानि आध्यात्मिक जगत से मिलता है-----
सुख दुख तो जीवन मे आते जाते रहते है लेकिन अगर एक बार भक्ति जीवन मे प्रवेश कर जाये तो भक्ति का नशा कभी भी नही उतरता-----
गीता के दुसरे अध्याय मे भगवान ने कहा है की जो व्यक्ति सुख दुख से विचलित नही होता वही आनंद को प्राप्त करने के योग्य होता है----
संसार से मोह करने पर जीवन मे अशांति ,तनाव,,कमजोरी आती है ओर भक्ति करने से यानि भगवान से मोह करने से जीवन मे शांति,,आनंद,संतोष आदि आते है------
सेवा सबकी करनी चाहिये लेकिन मोह केवल भगवान से---
विश्वास भी केवल परमात्मा पर----
संसार के प्रति कर्तव्यो का पालन करते हुए मन को भागवत बनाकर चलने वाला गृहस्थी ही भगवद्प्राप्ति के योग्य होता है---
कथा जीवन जीने का सही रास्ता दिखाती है----
जो प्यासे है उन्हे प्रेम का अमृत पिलाती है---
ओर जो तडपते है हरपल उनसे मिलने के लिए--
कथा उनको बांके बिहारी से मिलाती है
भक्त ईसलिए आनंदित रहता है क्योकि भक्त को संसार मे जीना आ गया --- भक्त जीवन के लक्ष्य को हमेशा याद रखता है----
ये जीवन अशांत होने के लिए नही मिला,,,ये जीवन कमजोर बनने के लिए नही मिला----
ये जीवन भगवान को पाने के लिए मिला है ओर अगर मनुष्य संसार मे आकर संसार का सब कुछ प्राप्त कर ले ओर अगर भगवान को प्राप्त ना कर पाये तो संसार को पाकर भी खोना पडेगा----
सिकंदर ने कहा था की जब मै मरुं तो मेरी शवयात्रा के दौरान मेरे दोनो हाथो को बाहर निकाल देना ताकि दुनिया भी देखे की दुनिया को लुटने वाला सिकंदर भी खाली हाथ जा रहा है-----
ईस संसार की कोई भी वस्तु साथ नही जायेगी ----
प्रभु की भक्ति ओर प्रभु का नाम रुपि धन ही साथ जायेगा ईसलिए जितना हो सके उतना ही प्रभु का नाम लेना चाहिये ओर मन भगवान के प्रति शरणागत रखना चाहिये-----
श्वास श्वास पर कृष्ण भज,,वृथा श्वास मत खोए----
ना जाने या श्वांस को ,,फिर आवन होए ना होए--------
जिम्मेदारियो को छोडकर भागना नही है----
गीता ओर भागवत का सुत्र है की संसार के प्रति सभी कर्तव्यो का पालन करते हुए मन को भगवान मे लगाकर रखना चाहिये------
सेवा सबकी लेकिन मोह केवल भगवान से ,--
श्री राधे-- प्रेम से बोलिए श्री बांके बिहारी लाल की जय,-- श्री राधा स्नेह बिहारी लाल की जय
धनवंता तेहुं जानिये,,जाको रामनाम धन होई--
बार बार रोते है वो लोग जो संसार से मोह करते है ओर ईस संसार मे प्रसन्न सिर्फ वो रहता है जो भगवान से मोह ओर प्रेम करता है
संसार मे जिसके पास पैसा नही है वो भी दुखी है ओर जिसके पास पैसा है वो भी दुखी है,-----
बहुत अमीर व्यक्ति तो एसे होते है जिनको नींद के लिए गोलियां खानी पडती है----
लिखने का भाव ये है की संसार मे सब दुखी है लेकिन भक्त ईस भौतिक जगत मे भी आनंदित रहता है------
कोई तन दुखी तो कोई मन दुखी तो कोई धन बिन रहत उदास----
थोडे थोडे सब दुखी,,,सुखी राम का दास------
ईस संसार मे सब दुखी है क्योकि ये संसार दुखालयं है ओर ये संसार परिवर्तनशील है,,,यहां सुख आयेगा तो दुख भी आयेगा ओर दुख आयेगा तो सुख भी आयेगा ----
सुख दुख का चक्र हमेशा चलता रहता है--- संसारिक व्यक्ति ईन सुख दुख मे विचलित हो जाता है जिसकी वजह से वो 8400000 योनियो मे चक्कर काटता है---
सुख आने पर अकड कर चलता है ओर दुख आने पर घबरा जाता है लेकिन भक्त भक्ति के उत्साह ओर आनंद मे ईस तरह डुबा रहता है की सुख दुख का कोई प्रभाव नही पडता क्योकि भक्ति के आनंद के आगे संसारिक सुख दुख फीके होते है----
भक्त सुख दुख को भगवान का प्रसाद समझकर मन को मजबुत रखकर भक्तिमार्ग मे आगे बढता है------
तीन चीजे होते है----- सुख,,,दुख ओर आनंद------
सुख दुख भौतिक जगत मे मिलते है ओर आनंद भक्ति से यानि आध्यात्मिक जगत से मिलता है-----
सुख दुख तो जीवन मे आते जाते रहते है लेकिन अगर एक बार भक्ति जीवन मे प्रवेश कर जाये तो भक्ति का नशा कभी भी नही उतरता-----
गीता के दुसरे अध्याय मे भगवान ने कहा है की जो व्यक्ति सुख दुख से विचलित नही होता वही आनंद को प्राप्त करने के योग्य होता है----
संसार से मोह करने पर जीवन मे अशांति ,तनाव,,कमजोरी आती है ओर भक्ति करने से यानि भगवान से मोह करने से जीवन मे शांति,,आनंद,संतोष आदि आते है------
सेवा सबकी करनी चाहिये लेकिन मोह केवल भगवान से---
विश्वास भी केवल परमात्मा पर----
संसार के प्रति कर्तव्यो का पालन करते हुए मन को भागवत बनाकर चलने वाला गृहस्थी ही भगवद्प्राप्ति के योग्य होता है---
कथा जीवन जीने का सही रास्ता दिखाती है----
जो प्यासे है उन्हे प्रेम का अमृत पिलाती है---
ओर जो तडपते है हरपल उनसे मिलने के लिए--
कथा उनको बांके बिहारी से मिलाती है
भक्त ईसलिए आनंदित रहता है क्योकि भक्त को संसार मे जीना आ गया --- भक्त जीवन के लक्ष्य को हमेशा याद रखता है----
ये जीवन अशांत होने के लिए नही मिला,,,ये जीवन कमजोर बनने के लिए नही मिला----
ये जीवन भगवान को पाने के लिए मिला है ओर अगर मनुष्य संसार मे आकर संसार का सब कुछ प्राप्त कर ले ओर अगर भगवान को प्राप्त ना कर पाये तो संसार को पाकर भी खोना पडेगा----
सिकंदर ने कहा था की जब मै मरुं तो मेरी शवयात्रा के दौरान मेरे दोनो हाथो को बाहर निकाल देना ताकि दुनिया भी देखे की दुनिया को लुटने वाला सिकंदर भी खाली हाथ जा रहा है-----
ईस संसार की कोई भी वस्तु साथ नही जायेगी ----
प्रभु की भक्ति ओर प्रभु का नाम रुपि धन ही साथ जायेगा ईसलिए जितना हो सके उतना ही प्रभु का नाम लेना चाहिये ओर मन भगवान के प्रति शरणागत रखना चाहिये-----
श्वास श्वास पर कृष्ण भज,,वृथा श्वास मत खोए----
ना जाने या श्वांस को ,,फिर आवन होए ना होए--------
जिम्मेदारियो को छोडकर भागना नही है----
गीता ओर भागवत का सुत्र है की संसार के प्रति सभी कर्तव्यो का पालन करते हुए मन को भगवान मे लगाकर रखना चाहिये------
सेवा सबकी लेकिन मोह केवल भगवान से ,--
श्री राधे-- प्रेम से बोलिए श्री बांके बिहारी लाल की जय,-- श्री राधा स्नेह बिहारी लाल की जय
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