Wednesday, 28 October 2015

कृष्ण सूर्यप्रकाश के तुल्य है



कृष्ण सूर्यप्रकाश के तुल्य है और जहाँ भी कृष्ण रहते है वहाँ अंधकार रुपी माया नहीँ रह सकती । जब कृष्ण को वसुदेव ले जा रहे थे , तब रात्रि का अंधकार दूर हो गया । कारागार के बंधन स्वयमेव खुल गये ।
जब वसुदेव ने कृष्ण को मस्तक पर पधराया तो सारे बंधन टूट गये ।
किन्तु जब गोकुल से कन्या यानी माया को ले आये तो पुनः बन्धनयुक्त हो गये ..
अतः माया रुपी बंधन से बचने हेतु भगवान श्रीकृष्ण के चरणो को अपने मस्तक पर धारण करना चाहिए
यदि अपना जीवन साथक बनाना चाहते हो तो चीज कभी मत छोड़ो = 1. श्रीराधाजी के चरण ! 2. श्रीबहारजी की शरण !
घरकी शोभा भगवान् से हैं l आपके घरमें जो सबसे अच्छी जगह हो, वहाँ भगवान् को विराजो l आजकल लोग साधारण-सी जगहमें भगवान् को बैठा देते हैं l
भगवान् को मालिक मानो-मेरे घरके मालिक भगवान् हैं l भगवान् ने यह सबकुछ दिया है l जो घरमें सेवक बनकर रहता है, उसका मन नहीँ बिगड़ता l
जिस समय तुम्हें भगवान् की याद आये तो तुम जानो कि भगवान् ने हमारे ऊपर कृपा करके हमारे सिर पर हाथ रखा है । फिर भी यदि तुम उस नाम को छोड़ दोगे तो भगवान् का हाथ अपने ऊपर से हटाना यानि उतारना होगा ।

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