*एक दिन वृंदावन की बाज़ार मैं खडी होके एक सखी कुछ बेच रही है, लोग आते
हैं पूछते हैं और हँस कर चले जाते हैं। वह चिल्ला चिल्ला कर कह रही है कोई
तो खरीद लो। पर वो सखी बेच क्या रही है ?? अरे ? यह क्या ? ये तो नींद बेच
रही है।*
*आखिर नींद कैसे बिक सकती है.? कोई दवा
थोडी है। जो कोई भी नींद खरीद ले। सुबह से शाम होने को आई कोई ग्राहक ना
मिला। सखी की आस बाकी है कोई तो ग्राहक मिलेगा शाम तक दूर कुछ महिलाऐं
बातें करती गाँव मैं जा रहीं हैं वो उस सखी का ही उपहास कर रही है। अरे एक
पगली आज सुबह से नींद बेच रही है। भला नींद कोई कैसे बेचेगा। पगला गई है वो
ना जाने कौन गाँव की है। पीछे पीछे एक दूसरी सखी बेमन से गाय दुह कर आ रही
है। वह ध्यान से उनकी बात सुन रही है। बात पूरी हुई तो सखी ने उन महिलाओ
से पूछा कौन छोर पे बेच रही है नींद, पता पाकर दूध वहीं छोड़ उल्टे कदम भाग
पडी। अँधेरा सा घिर आया है. पर पगली सी नंगे पैर भागे जा रही है. बाजार
पहुंच कर पहली सखी से जा मिली और बोल पडी. अरी सखी ये नींद मुझे दे दे।
इसके बदले चाहे तू कुछ भी ले ले पर ये नींद तू मुझे दे दे, मैं तुझसे मोल
पूछती ही नही तू कुछ भी मोल लगा पर ये नींद मुझे ही दे दे।*
*अब बात बन रही है, सुबह से खडी सखी को ग्राहक मिल गया है और दूसरी सखी को नींद मिल रही है. अब बात बन भी गई.*
*अब
पहली सखी ने पूछा सखी मुझे सुबह से शाम हो गई. लोग मुझे पागल बता के जा
रहे हैं तू एक ऐसी भागी आई मेरी नींद खरीदने, ऐसा क्या हुआ ? दूसरी सखी
बोली सखी यही मैं तुझसे पूछना चाहती हूँ ऐसा क्या हुआ जो तू नींद बेच रही
है।*
*पहली सखी बोली, सखी क्या बताऊं, उसकी याद मैं
पल पल भारी है मैने उससे एक बार दर्शन देने को कहा और वो प्यारा श्यामसुंदर
राज़ी भी हो गया। उसने दिन भी बताया के मैं अमुक ठिकाने मिलने आऊँगा। पर
हाय रे मेरी किस्मत जब से उसने कहा के मैं मिलने आऊगा तब से नींद उड़ गई पर
हाय कल ही उसे आना था पर कल ही आँख लग गई। और वो प्यारा आकर चला भी गया।
हाय रे मेरी फूटी किस्मत। तभी मैने पक्का किया के इस बैरन, सौतन निन्दिया
को बेच कर रहूँगी। मेरे साजन से ना मिलने दिया। अब इसे बेच कर रहूँगी।*
*अब तू बता कि तू इसे खरीदना क्यों चाहती है ?*
*क्या
बताऊ सखी, एक नींद मैं ही तो वो प्यारा मुझसे मिलता है. दिन भर काम मैं
सास ससुर। घर के काम मैं फ़ुर्सत कहाँ के वो प्यारा श्यामसुंदर मुझसे मिलने
आये. वो केवल ख्वाब मैं ही मिलता था. मैने उससे कहा अब कब मुझे अपने साथ
ले चलेगा ? उसने कहा अमुक दिन ले चलूँगा पर उसी दिन से नींद ही उड़ गई।
सौतन अंखिया छोड़कर ही भाग गई. अब कहाँ से मिले वो प्यारा ?? हाय कितने ही
जतन किये पर ये लौट कर ना आई। अब सखी तू ये नींद मुझे दे दे जिस से मुझे
वो प्यारा मिल जाये। पहली सखी बोली. ले जा इस बैरन, सौतन को ताकि मैं सो न
सकूँ. और वो प्यारा मुझे मिल सके।*
*भाव देखिये दोनों का भाव एक ही है पर तरीका अलग है*
*व्रजभक्तो के भाग्य की क्या कहे। व्रजांगनाओके चरणोमें कोटी कोटी वंदन।*
*बोलिए वृंदावन बिहारी लाल की जय*
*जय जय श्री राधे श्याम*
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