मेरे घनश्याम की जुल्फे अजब नागिन-सी काली है। किसी के दिल को डसने के लिये मानों ये पाली हैं। ।
अजायब चाँद सा" मुखडा, दमकती खोर केशर की
। सुहाई नील- क्जों से कपोलों की गुलाली है । । नुकीली नासिका थिरकन गजब बेसर के मोती की । लिये
बैठा मनो: शुक चोंच मे: मुक्ता की डाली है । निगाहे शान शमसीरें हमारे दिल
की कातिल हैं । वहीँ समझेगा इनकी मार जिसने पीर पाली है । दुपट्टा जर्द लासानी जरी
न्क्काश्दारी का । नहीं कुछ तोर रखती जो कमर पर पेंच डालीं है । बनी बनमाल
फूलों की फबी है जाके कदमों तक । फिसल पड़ती है आँखें भी छटा
ऐसी निराली है । कदम की छाँह के नीचे खडे बाँकी अदाँ से हैं । मधुर मुरली
के रद्गधों से सुरीली धुन सम्हाली है । यही नखरे भरी झांकी हमारे दिल में
आ बैठे । तो भर जाये तेरा जलवा जो दिल में जगह खाली है।
श्री राधा रमण परिवार प्रयास
.......जय श्री हरि
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